➤ हिमाचल को आपदा प्रभावित राज्य घोषित किया गया
➤ अब राहत एवं पुनर्वासन के लिए मिलेगा विशेष अधिकार और बजट
➤ केंद्र से भी अतिरिक्त मदद का रास्ता खुलेगा
हिमाचल प्रदेश को आखिरकार आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में इस घोषणा के साथ प्रदेशवासियों को एक उम्मीद दी है कि अब राहत और पुनर्वासन कार्य तेज़ी से आगे बढ़ेंगे। लगातार बारिश, भूस्खलन और जनहानि ने प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था। ऐसे में यह फैसला न सिर्फ ज़रूरी था बल्कि लोगों की जिंदगियों और भविष्य को बचाने के लिए निर्णायक कदम भी है।

अब सरकार के पास कई नए विकल्प खुल गए हैं। सबसे पहले वह विधायक निधि और विभिन्न योजनाओं के बजट में कटौती कर राहत एवं पुनर्वासन के लिए फंड जुटा सकेगी। इसके अलावा आर्थिक संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार नया सेस (Cess) भी लगा सकती है। कोविड-19 काल में भी ऐसा ही कोविड सेस लगाया गया था, जिससे प्रदेश को अतिरिक्त आय मिली थी।
सबसे बड़ी राहत यह है कि अब राज्य को केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त मदद मिल पाएगी। आपदा घोषित होने के बाद केंद्र का समर्थन वित्तीय और तकनीकी दोनों स्तर पर अहम साबित होगा।

साथ ही, अब डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू हो गया है। इसका सीधा मतलब है कि मौके पर मौजूद अधिकारी – डीसी, एडीएम और एसडीएम – को विशेष अधिकार मिलेंगे। वे आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए तत्काल फैसले ले सकेंगे और उन्हें हर छोटे-बड़े कदम के लिए सरकार से अनुमति लेने की जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। इससे राहत कार्यों में तेजी आएगी और पीड़ितों को तुरंत मदद पहुंच सकेगी।

हिमाचल की पहाड़ियों में बसे गांवों और शहरों में लोगों की आंखों में अब भी डर और बेबसी झलक रही है, लेकिन यह घोषणा उन्हें एक नई उम्मीद दे रही है। सवाल अब यही है कि सरकार इस फैसले को कितनी जल्दी जमीन पर उतारती है और कितनी मजबूती से लोगों को दोबारा खड़ा कर पाती है।
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हिमाचल प्रदेश इन दिनों प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा है। लगातार भारी बारिश, लैंडस्लाइड और मकानों के ढहने की घटनाओं ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा सत्र में प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया। सरकार का यह कदम प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने और केंद्र से अतिरिक्त मदद लेने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इस बीच चंबा से दर्दनाक खबर सामने आई है। मणिमहेश यात्रा पर निकले 6 और श्रद्धालुओं के शव बरामद हुए हैं। इनमें से चार की पहचान परस राम (72) निवासी चंबा, हरविंदर, तरसेम और साधु जवाहर यादव के रूप में हुई है, जबकि दो शवों की पहचान अभी बाकी है। केवल 25 अगस्त से लेकर 1 सितंबर तक इस यात्रा में 17 लोगों की जान जा चुकी है। श्रद्धालुओं की मौत ने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया है।

शिमला के जुन्गा में रविवार देर रात एक मकान जमींदोज हो गया, जिसमें बाप-बेटी की दर्दनाक मौत हो गई। जुब्बल के बढ़ाल गांव में भी एक मकान ढहने से 23 साल की युवती की जान चली गई। इसी तरह कोटखाई में मकान गिरने से बुजुर्ग महिला कलावती की मौत हुई। सिरमौर जिले के शाईमी गांव में पहाड़ी से गिरी चट्टानों ने एक घर को मलबे में बदल दिया, जिसमें एक महिला की जान चली गई। हर कोने से मिल रही मौत और तबाही की खबरें प्रदेशवासियों के दिलों को झकझोर रही हैं।
उधर, लाहौल-स्पीति के शिंकुला दर्रे में सोमवार सुबह ताजा हिमपात हुआ, जिसने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। मौसम विभाग ने ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर में रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि चंबा, कुल्लू और शिमला के लिए ऑरेंज अलर्ट घोषित हुआ है।
जनसुरक्षा के मद्देनज़र शिमला, सिरमौर, सोलन, कांगड़ा, मंडी, चंबा, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना और कुल्लू के बंजार, मनाली व कुल्लू सब-डिवीजनों के सभी शिक्षण संस्थानों में छुट्टी कर दी गई है। कुल्लू जिले में 2 सितंबर को भी स्कूल बंद रहेंगे।
प्रदेश इस वक्त बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। एक ओर आपदा का प्रकोप, दूसरी ओर जनहानि और संपत्ति का नुकसान लोगों की आंखों में भय और पीड़ा का भाव भर रहा है। इस आपदा ने एक बार फिर याद दिला दिया है कि हिमाचल की पहाड़ियां जितनी सुंदर हैं, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती हैं।



